नारी सबको चाहिए, हनी-मून नित होय.
निज बेटी नहिं चाहिए, मूक पालना रोय..
मूक पालना रोय, बिना बच्चे के सूना.
क्यों बेटे की चाह, बेटियाँ धन हैं दूना
खेल रहे क्यों खेल, दूर हो यह बीमारी.
करिए कन्यादान, तभी जन्मेगी नारी..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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