Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चाँद पूनम का हूँ शुभ सवेरा हूँ मैं

 

चाँद पूनम का हूँ शुभ सवेरा हूँ मैं,
ख़्वाब बसते जहाँ वह बसेरा हूँ मैं.

 

गम के बादल छँटें नूर बरसे यहाँ,
वक्त बेहतर बने एक फेरा हूँ मैं.

 

करके सज़दा उसे रंग भरूं प्यार के,
काम रब का ही है बस चितेरा हूँ मैं.

 

चाँदनी तुम बनो तो ये चमके जहां,
नीर नीरद का हूँ घन घनेरा हूँ मैं.

 

प्यार करते ही रहना जमीं बन प्रिये,
मुझको 'अम्बर' कहो सिर्फ तेरा हूँ मैं.

 

 

 

इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ