Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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“छंदों से लें प्रेरणा ”

 

हो कवित्त से दोस्ती, छंद-छंद से प्यार.
रोला दोहा सोरठा, कुण्डलिया अभिसार..
शब्द सवैया से मिलें, भगण-सगण ले रूप.
बहती तब रस धार है, शोभा दिव्या अनूप..
शेर-शेर सब हैं अलग, मतला मकता बोल.
मेल मिलाये काफिया, गज़ल बने अनमोल..
सरिता शब्द प्रवाह से, बने गीत-नवगीत.
हास्य-व्यंग्य भी साथ में, सबके सब है मीत..
चौपाई हरिगीतिका, छप्पय खेलें खेल.
छंदों से लें प्रेरणा, मन से कर लें मेल..

 

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