Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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“दोस्ती में दिल खुला हो”

 

दोस्ती की आज कसमें खा रहा संसार है
मुफलिसी में साथ दे जो वो ही अपना यार है.
दुश्मनी फिर भी भली ना दोस्ती नादान की,
जान पायेगा नहीं वो कब बना हथियार है.
तंगदिल से दोस्ती यारों कभी होती नहीं,
दोस्ती में दिल खुला हो प्रीति की दरकार है.
रूप अपना किसने देखा किसने जाना दोस्तों,
दोस्ती कर आईने से आइना तैयार है.
हम समझते थे वहां हैं यार यारों के हमीं,
अब यहां पर जान पाये वाकई क्या प्यार है.

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