Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक मजदूर का दंश

 
हम चुपचाप सभी कुछ सहते
मेहनत से हम कभी ना डरते 
अपना श्रम अनमोल है भाई 
काहे को  बेगार कराई
भद्दी गाली क्यों हो देते 
कामचोर हमको क्यों कहते 
अपने घर में आधी रोटी 
तेरे हिस्से सारी बोटी 
मिला गरीबी फाकामस्ती 
मौत हमारी सबसे सस्ती 
जब तक अपना शोषण होगा 
तब तक तेरा पोषण होगा 
शिक्षा पर अधिकार तुम्हारा 
अपना कोई नहीं सहारा 
जब भी हम शिक्षित होएगें 
तेरे सब अवयव रोयेंगें ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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