Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हे गजबदन गणेश गजानन गणनायक गुरु स्वामी हो

 

हे गजबदन गणेश गजानन गणनायक गुरु स्वामी हो.
प्रथम पूज्यवर पार्वती-सुत गणपति अन्तर्यामी हो.
विकट विनायक विघ्नेश्वर शुचि विद्यावारिधि सिद्धिप्रियः,
कपिल कवीष कृषापिंगाक्षा सत्पथ के अनुगामी हो..

 

शत-शत वंदन करते हम सब सिद्धिविनायक कृपा करो.
बुद्धि शुद्धि करके हम सबकी ऋद्धि सिद्धि दे दुःख हरो.
पथ के कंटक दूर सभी हों विश्व सनातन प्रगति करे,
रहें सुरक्षित हम सब सारे मिट्टी में नव प्राण भरो..

 

--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

 

शब्दार्थ:
कृषापिंगाक्षा : पीले-कत्थई आंखों वाले
कवीष: कवियों के प्रमुख
कपिल: पीले-कत्थई रंग के

 

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