Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हिन्दी में धड़के हृदय, हों जब नैना चार

 

हिन्दी में धड़के हृदय, हों जब नैना चार.
'आई लव यू' छोड़कर, हिन्दी में हो प्यार..

 

'स्वीटी' 'डार्लिंग' 'कर्णप्रिय', अप्रिय बहनजी शब्द.
'मैडम' 'मिस' मन मोहते, 'अम्बरीष' निःशब्द..

 

डैडी जी हैं 'डैड' अब, मम्मी जी भी 'मॉम'.
सिस्टर 'सिस' 'ब्रो' अब ब्रदर, पी अंग्रेजी जाम..

 

'आई लव यू' हो गया, 'ईलू' दुनिया दंग.
संबोधन छोटे हुए, ज्यों हों कपड़े तंग..

 

'हेलो-हेलो' था बोलता, प्रतिक्षण आठों याम.
'ग्राहम बेल' की प्रेमिका, 'हेलो' उसी का नाम..

 

'हेलो-हेलो' को बंद कर, करिए ऐसी युक्ति.
ग्राहम-हेलो को मिले, प्रेतयोनि से मुक्ति..

 

'हेलो' बने हरिओम अब, ॐ कहें यदि 'हाय'.
'बाय-बाय' को छोड़कर, बोलें 'नमः शिवाय'..

 

कुर्बानी धंधा बना, कैसा चढ़ा जूनून ?
जल की बर्बादी बिना, नहीं धुलेगा खून..

 

जहाँ पले फूले बढ़े, सबसे पाया प्यार.
गद्दारी उस देश से, यह कैसा व्यवहार??

 

आया जब हिंदी-दिवस, उमड़ा तब है प्यार.
नित्य मनाते हम इसे, दिन में बीसों बार..

 

हिन्दी-हिन्दी जप रहे, भाषा करे प्रयाण.
रोजगार से जोड़िये, होगा तब कल्याण..

 

 

--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

 

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