Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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होली के रंग

 

 
तेरे दीदार को तरसे हैं हम .......
सूरत तो दिखाने आ जा.......|
कैसे मिलते तुझसे........
रंगों के बहाने आ जा .......

रंग प्यार के हम सब घोलें........
अपनेपन के हों गुब्बारें ......|
इन रंगों की तेज धार से........
बह जांय नफरत की दीवारें .....||

ऐसे रंगना हमें........
दुश्मन पे प्यार आ जाए.......|
भूलकर शिकवे सारे. ......
गले मिल लें बहार आ जाए.....||

 

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