समसामयिक कुण्डलिया:
(१)
सेना पर पत्थर चलें, ग्रेनेड बम पेट्रोल.
बाँधे उसके हाथ क्यों, बोल हितैषी बोल.
बोल हितैषी बोल, समझ मत लेना कायर.
पैलेट गन को छोड़, खुलेगा सीधा फायर.
होगा पक्का काम, छोड़ दे पंगा लेना.
गद्दारों को खोज, ठोंक देगी अब सेना..
(२)
पैलेट गन रोकें अभी, न्यायिक हैं आदेश.
राजनीति के खेल से, मन में होता क्लेश.
मन में होता क्लेश, मनोबल गिरता जाता.
घायल सैनिक देख, तड़पते कैसे भ्राता?
उन्हें बना कर लाश, आप तो ले लें बैलेट.
आगे आयें आप, रोक देगें वे पैलेट..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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