Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिसे आशीष देती ये ..........

 

गाय तो मातु है अपनी इसे चाहेंगे हम सारे
बहाए दूध की धारा इसे पालेंगें हम सारे
करो उपयोग गोबर का है इसका मूत्र तक अमृत
...वैतरणी पार ले जाये इसे पूजेंगें हम सारे ...........

इसे रब नें बनाया है बहुत ही पाक लगती ये
हमें सेहत की दुनिया में सदा आबाद रखती ये
जहन्नुम में सदा जाता जो इसकी गोकुशी करता
उसे सौंपे ये जन्नत ही जिसे आशीष देती ये .........

 

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