एक हजारी पांच सौ, बंद हुए जो नोट.
हतप्रभ सारे लोग पर, नष्ट हुई सब खोट.
बहुत सही है फैसला, काम हुआ जो शुद्ध.
खातों में धन चाहिए, सिर पर आता युद्ध..
हथियारों की है कमी, साथ चाहिए टैंक.
जमा करें ये नोट अब, खातों में जा बैंक..
सदमें में नेता सभी, पड़े आज बेभाव.
काला धन कूड़ा हुआ, कैसे लड़ें चुनाव..
धान बेचना है कठिन , चिंतित आज किसान.
परेशान सब आढ़ती, कैसे हो भुगतान..
छोटे नोटों की कमी, बड़े नोट भरमार.
धंधा बंद गरीब का, कैसे हो व्यापार..
काम सुबह से शाम तक, करता मित्र सुदूर.
नोट नहीं छोटे अगर , रोयेगा मजदूर..
बड़े नोट चलने नहीं, जनता सारी त्रस्त.
गायब छोटे नोट जो, व्यापारी भी पस्त..
पति की जेबें पारकर, रखी रकम दे चोट.
दुखी आज सब पत्नियां, लिए हजारी नोट..
यात्राओं में जो फँसे, सभी हुए लाचार.
भूखे प्यासे हो सफर, बड़े नोट को धार..
अन्दर का धन ला रहे, बाहर का क्यों मुक्त.
भरे विदेशी बैंक सब, राजनीति उन्मुक्त..
राजनीति को आश्रय, वहीं आज के वीर.
जनता ही है लक्ष्य अब, चलें उसी पर तीर..
पहुँचेगें जब बैंक में, ले आई० डी० चित्र.
वचन गवर्नर का अदा, रकम तभी हो मित्र..
नोट हजारी बेअसर, अर्ध हजारी जाम.
मोदी जिह्वा मित्रवर, मान लक्ष्मी धाम..
बड़े नोट यदि जेब में, सह लें थोड़ा कष्ट.
खेद असुविधा के लिए, जब तक झेलें भ्रष्ट..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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