कन्हैया तेरी ये वंशी
अधरों पे जा सजी है कन्हैया तेरी ये वंशी.
ये तान दे निराली बजैया तेरी ये वंशी.
हम सबको बाँधती है तेरी राह और डगर पे-
अब मन नहीं है बस में बसैया तेरी ये वंशी..
ये प्रेम तो अमर है राधा किशन से जग में.
सब लोग दिख रहे है इसमें मगन से जग में.
माहौल प्यार का ये कुदरत तभी बनाये-
जब मन करे समर्पित खुद को बदन से जग में..
दिल हो कदम्ब डाली और मुरली बज रही हो.
उसमें भी छवि तुम्हारी दर्पण में सज रही हो.
मन मेरा बन के राधा पहलू में हो तुम्हारे-
जीवन सफल हो काया सब मोह तज रही हो ..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
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