Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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'कुछ हाइकू'

 

(तीन पंक्तियाँ: प्रत्येक में क्रमशः ५, ७, ५ वर्ण)


१.
जीवन मर्म
बस यही है धर्म
कर ले कर्म
२.
प्यार में धार .
आत्मिक अभिसार
छाये बहार
३.
जुड़ें बेतार
जोड़ ले लगातार
दिलों के तार
४.
मन मुस्काए
किस्मत बन जाए
क्यों घबराए
५.
त्याग दे स्वार्थ
स्वीकार परमार्थ
उठ जा पार्थ
(६)
मौत है पास
दिल में मधुमास
वाह रे आस!
(७)
निज कल्याण
सर्वांग बेईमान
चाहे ईमान?
(८)
दाना चुगाया
उड़ना भी सिखाया
कैसी उम्मीद?
(९)
आशा के पग
प्रफुल्लित हृदय
सुन्दर जग
(१०)
घना कुहरा
कड़कड़ाते दांत
अलाव कहाँ?
(११)
उन्नत भाव
दूर करें नैराश्य
जलते दीप !!

(१२)
महकी साँस
हाँ! कुछ तो है ख़ास
दिल में आस !
(१३)
मन में आस
तभी तो है विश्वास
स्थिर ईमान
(१४)
पाये जो ग़म
फिर क्यों मांगें हम
यह क्या कम?
(१५)
आशा के पग
प्रफुल्लित हृदय
सुन्दर जग
कुछ और हाइकू
(१६)
बस दो पग
आशा और विश्वास
हो संतुलन
(१७)
क्यों अनुराग?
यह राग विराग
अपना भाग
(१८)
वाह भाईजी !
चमत्कारी है आस
जय हो जय
(१९)
प्रकाश बिंदु
जीवनदायी आशा
नव जीवन
(२०)
आप जो साथ
यही सबसे ख़ास
जमा विश्वास
(२१)
आस के पंख
हौसलों से उड़ान
शाबास दिल !
(२२)
वो शरारत
भुलाये भी न भूले
बँधाये आस !
(२३)
बाँधी जो आस
महक गयी साँस
जमा विश्वास
(२४)
आस लगाना
सपनों में खो जाना
ना घबराना !
(२५ )
पिया के पास
भड़कती जो प्यास
लगाये आस .
(२६)
पाये सम्मान
ये आन बान शान
सच्चा ईमान
.(२७)
दे दें आशीष
आप ठहरे बीस
झुका है शीश

 

 

 

 अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

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