Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ की महिमा

 

नैनन में है जल भरा,  आँचल  में  आशीष |
तुम सा दूजा नहि यहाँ तुम्हें नवायें शीश ||

कंटक सा संसार हैकहीं   न  टिकता  पांव |
अपनापन मिलता नहीं माँ के सिवा न ठांव ||

रहीं लहू से सींचती , काया तेरी देन |

 संस्कार सारे दिए , अदभुद तेरा प्रेम ||

रातों को भी जागकर,   हमें  लिया है पाल |
ऋण तेरा  कैसे  चुके,    सोंचे    तेरे  लाल ||

स्वारथ  है  कोई  नहीं ,  ना    कोई     व्यापार |
माँ  का अनुपम प्रेम   है,. शीतल सुखद  बयार ||

जननी को जो पूजता जग पूजै है सोय |
महिमा वर्णन कर सकेजग में दिखै न कोय ||    

माँ तो जग का मूल हैमाँ  में बसता प्यार |
मातृ-दिवस पर पूजतातुझको  सब संसार ||

रचयिता:
अम्बरीष श्रीवास्तव वास्तुशिल्प अभियंता"
९१आगा  कालोनीसिविल लाइंस सीतापुर २६१००१ (उत्तर प्रदेश )
भारतवर्ष
फ़ोन : +९१ ५८६२ २४४४४०
मोबाइल +९१ ९४१५०४७०२०

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