चेतक सवार आला, कर विकराल भाला,
आँखों में हो क्रांति ज्वाला, महाराणा आइए.
एकलिंग जय बोलें, रक्त से ही घाव धो लें,
भवानी माँ द्वार खोलें, विजयश्री पाइए.
धन्य धन्य हल्दीघाटी, बलिदान परिपाटी,
आज भी है लाल माटी, तिलक लगाइए.
राणा सी हमारी चाह, देशभक्ति की हो राह,
साथ देंगे भामाशाह, राष्ट्र को बचाइए.
रचनाकार:
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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