Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मानव बन कर जियो जिन्दगी

 

हमारे ज्येष्ठ पुत्र नील श्रीवास्तव के जन्म दिवस पर स्नेहाशीष....

 

 

"मानव बन कर जियो जिन्दगी"

 

 

 

जन्म दिवस की कोटि बधाई, जीना शत-शत वर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

कठिन परिश्रम मूल मंत्र है, खुद को नित्य तपाओ,
साथ तुम्हारे मिले सुहागा, तुम कुंदन बन जाओ,
ऋद्धि-सिद्धि आशीष तुम्हें दें, सुखमय हों सब वर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

नित्य निरंतर करो साधना, बनकर साधक योगी,
दोगे जब सम्मान सभी को, सब होंगे सहयोगी,
सरस्वती की सदा कृपा हो, जीवन में उत्कर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

पथ के कंटक दूर सभी हों, मिले न विपदा कैसी,
बाधाएं सब पार कर सको, बुद्धि प्रखर हो ऐसी,
गणपति गौरी विष्णु-लक्ष्मी, रक्षा करें सहर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

जिज्ञासा से सदा-सर्वदा, भरना ज्ञान कमंडल,
विनय तुम्हारा आभूषण हो, सौम्य रहे मुखमंडल
पग-पग पर ही मिले विजयश्री, पार करो संघर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

लक्ष्य प्राप्ति हो सदा सर्वदा, शुद्ध रहे मन अंतर,
सत्कर्मों से भाग्य बनेगा, करना कर्म निरंतर,
नित्य रहे गुरु कृपा शीश पर, कभी न हो अपकर्ष.
मानव बन कर जियो जिन्दगी, रहे हृदय में हर्ष.

 

 

सस्नेह
तुम्हारा पिता:
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ