Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मित्र अब तो ठान लें..

 

पढ़ रहा बिजली व पानी राग का दो लाइना.
भौकते भारत के वासी कह रहा है चाइना.
हैं नहीं हम मेहनती कहता है चीनी मीडिया,
क्रोध क्योंकर सत्य ही उसने दिखाया आइना..

 

लत नशे की जो लगाई देखिये इसका कहर.
झुरमुटों में लोग पत्ते खेलते चारों प्रहर.
कट रही है जिन्दगी पर देश जाए भाड़ में,
शाम को बस पैग जमते बाँटते धीमा जहर..

 

फ्री 'जियो' सिम पास में डाटा असीमित फोरजी.
देखते फ़िल्में दनादन खोल साइट पोर्न की.
काम धंधा आज चौपट लोग नेट पर जा लगे,
तेल निकले देश का उनका चले व्यापार ही..

 

आ पड़ी जब भी जरूरत माल सस्ता ले लिया.
तेज एटीएम मशीनें चाइना ने दे दिया.
क्लोन करके कार्ड डेबिट फुर्र की सारी रकम,
मस्त ड्रैगन, हाथ मलिए, हाय हमने क्या किया??

 

बेचता हर माल दुश्मन बात पक्की जान लें.
मत खरीदें चायना का, यार दिल से ज्ञान लें.
कष्ट सहकर ही बनेगें आत्मनिर्भर हम सभी.
मेहनती बन कर रहेगें मित्र अब तो ठान लें..

 

आजकल है हो रहा डेंगू चिकनगुनिया मगर.
झालरों से घर सजाते हम रहे पर बेखबर.
जानलेवा हैं बहुत एडीज मच्छर हर तरफ,
नष्ट होंगें ये सभी देंगे जला दीपक अगर..

 

आज बिखरे हम सभी हमको है सबको जोड़ना.
बस गयी दिल में बुराई अब उसे है छोड़ना.
आ बसा मन में प्रदूषण मुक्त मन अपना करें,
पास जब परमाणु बम छोड़े पटाखे फोड़ना..

 

दीप मिट्टी के जलें हो ज्ञान बाती स्नेह की.
दूर तम अज्ञान का गरिमा बढ़े शुचि देह की.
राम बनकर वध करें अभिमान के अवतार का,
नष्ट हों मन के असुर अब बात क्या सन्देह की..

 

 

--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

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