चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, सूर्योदय प्रारंभ.
प्रवरा तिथि ही जन्मदिन, हुई सृष्टि आरम्भ..(१)
प्रथम दिवस इस सृष्टि का, तिथि सर्वोत्तम मान.
नव संवत्सर भी यही, शुभ मुहूर्त यह जान..(२)
घर लौटे श्रीराम जी, इसी दिवस में मित्र.
हुई अयोध्या पल्लवित. रामराज्य शुचि चित्र..(३)
धन्य शालिवाहन हुआ, पाया पुत्र महान.
शत्रु प्रबल था सामने, सधा वीर बलवान..(४)
मिट्टी के गुड्डे बना, फूँकी जल से जान.
किया पराजित सैन्य बल, सहा नहीं अपमान..(५)
तभी शालिवाहन बना, है शुभ शक प्रारंभ.
गुड़ईपड़वा पूजते, मिटे पाप मन दंभ..(६)
हुआ बालि वध इस दिवस, कहते इसे उगादि.
प्रथम दिवस नवरात्रि का, यही सृष्टि का आदि..(७)
गुरु अंगद का जन्म दिन, बजे सिक्ख सुर साज.
इसी दिवस को था बना, शुभकर आर्य समाज..(८)
राज्य विक्रमादित्य का, इसी दिवस से जान.
विक्रम संवत भी बना, नव पुनीत पहचान.. (९)
अति विशिष्ट है पर्व यह, इस युगाब्द का आदि.
प्रकटे झूलेलाल थे, थे प्रसन्न देवादि..(१०)
यही युधिष्ठिर को फला, हुआ राज्य अभिषेक.
हेडगेवार का जन्म दिन, यही दिवस शुभ नेक.. .(११)
यह संवत्सर है कठिन, जिसका नाम प्लवंग.
असमय वारिश आपदा, चोर करेंगे तंग..(१२)
सावधान तूफ़ान से, आतंकी इत्यादि.
मध्यंम वर्षा ही रहे, चले बवंडर आदि.(१३)
जल संकट में हो कमी, अभी चलेगें पम्प.
तालमेल सरकार से, आ सकते भूकंप..(१४)
फसल पके इस काल में, मन में हो आनंद.
नर नारी सब झूमते, पवन प्रवाहित मंद..(१५)
राजा मंत्री चन्द्र है, पदच्युत होंगे दुष्ट.
दूर व्याधियाँ दुःख सभी, भारत होगा पुष्ट..(१६)
दुष्कर्मों का हो दमन, नष्ट क्रूर व्यवहार.
रामराज्य सा योग शुभ, होगा सबमें प्यार..(१७)
इसी अवधि में हो रहा, मुख्य चुनावी पर्व.
दिशा मिलेगी देश को, माँ को होगा गर्व..(१८)
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रचनाकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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