Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नित प्रति होती यहाँ आरती…

 


आओ बच्चों सुनो कहानी, अपने हिन्दुस्तान की.
नित प्रति होती यहाँ आरती आरक्षण भगवान की.

 

 

एससी०, एसटी०, ओबीसी० सब, सरकारी दामाद यहाँ
और बचें जो जनरल वाले, वे पाते अवसाद यहाँ.
नौकरियां सरकारी पब्लिक, सेक्टर में भी आरक्षण
निजी क्षेत्र भी नहीं अछूते, होगा उनका भी भक्षण.
अनुसूचित को मिले मलाई, चिंता नहीं जहान की
नित प्रति होती यहाँ आरती, आरक्षण भगवान की.

 

 

क्रायटेरिया से ऊपर जो, जनरल माने जाते हैं
नीचे वाले नाकारा बन वे ही भर्ती पाते हैं
असली जनरल योग्य भले हों, जूझें, मुँह की खाते है
सरेआम वे पर इस समाज में, इज्जत नित्य गँवाते हैं
नहीं क़द्र, बेकार योग्यता, बाजी लगती जान की.
नित प्रति होती यहाँ आरती, आरक्षण भगवान की.

 

 

बीत गए हैं बरस पचासों, आगे भी यह होना है
आज रो रही प्रतिभा कुंठित, तुमको भी कल रोना है
निज कल्याण चाहते यदि हो, इस भक्षण को ख़त्म करो.
कानूनन यदि सभी बराबर, आरक्षण को खत्म करो
कसम तुम्हें नेता सुभाष की, अशफाकुल्लाह खान की,
नित प्रति होती यहाँ आरती, आरक्षण भगवान की.

 

 

आओ बच्चों सुनो कहानी अपने हिन्दुस्तान की.
नित प्रति होती यहाँ आरती आरक्षण भगवान की..

 

 

 

रचनाकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर

 

 

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