मुफ्ती बाँटे मुफ्त में, आतंकी हथियार.
सचमुच उसको है बहुत, खानदान से प्यार.
खानदान से प्यार, तभी बेटी भिजवाये.
फँसे चार दामाद, मुक्त वह उन्हें कराये.
छोड़ पांचवा आज, दबा दी नस फिर दुखती.
हर कोई लाचार, 'मसर्रत' में है मुफ्ती..
बाजी पलटे स्वार्थवश, राज्यसभा में हाय.
पूर्ण समर्थन के बिना, सत्ता भी असहाय.
सत्ता भी असहाय, किन्तु अवसर पहचाने.
आतंकी गद्दार, आज मुफ्ती को माने.
देशद्रोह, दे दंड, बंद हो, मुफ्ती पाजी.
सीधी चलकर चाल, पलट दें उल्टी बाजी..
मुफ्ती तोड़े मुफ्त का, नहीं वतन से प्यार.
आतंकी इसका हृदय, यह तो है गद्दार.
यह तो है गद्दार, इसे पल्टी अब दे दें.
भले गिरे सरकार, समर्थन वापस ले लें.
लागू कर अविराम, राष्ट्रपति शासन वक्ती.
इसे दिखा दे जेल, सड़े आतंकी मुफ्ती..
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
LEAVE A REPLY