Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पत्नी बोली प्यार से

 

 

पत्नी बोली प्यार से, चौंक गए हम यार.
बकरी बनकर शेरनी, करती क्यों मनुहार.
करती क्यों मनुहार, लिए संचित धन देखा.
साफ़ हुई जो जेब, उसी का लगता लेखा.
चल चलते हैं बैंक, काम यद्यपि यह यत्नी.
जमा उसी के नाम, दुखी तब भी थी पत्नी..

 

 

--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

 

 

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