कैसा भीषण कृत्य यह? कैसा यह प्रतिशोध?
क्या कर डाला कायरों? तुम्हें नहीं कुछ बोध?
तुम्हें नहीं कुछ बोध? मारते क्योंकर बच्चे?
अपराधी अक्षम्य, स्वयं, को कहते सच्चे?
शुद्ध मानसिक रोग, चाहिए शोहरत, पैसा.
उचित मिले उपचार, कर रहे कैसा-कैसा ??
बोया तुमने था ब्रदर, आतंकी यह बीज.
खुद पर ही आफत पड़ी, आयी नहीं तमीज?
आयी नहीं तमीज, अनर्गल बाते करते.
करवाते घुसपैठ, निपटने का दम भरते.
मरे आज मासूम, बहुत कुछ दिल ने खोया.
भुगतो करनी आज, काट लो, जो भी बोया..
निंदा ऐसे कृत्य की, तुम्हें रहे थे चूम.
सारे ही निर्दोष थे, मारे जो मासूम..
मारे जो मासूम, तुम्हारे ही थे अपने.
परी कथा के दैत्य, चूर कर डाले सपने.
कायर हो तुम लोग. नस्ल तुम पर शर्मिंदा.
थूकेगा इतिहास, युगों तक होगी निंदा.
अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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