Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पूरी आजादी उसे

 

 

पूरी आजादी उसे, रूढ़िवाद से मुक्त.
प्रतिबंधित अब है कहाँ, हर खुशबू उन्मुक्त.
हर खुशबू उन्मुक्त, और स्वच्छंद विचरती.
मुक्त हुए परिधान, चमाचम रूप गमकती.
पल पल बदलें पुष्प, तितलियों की मजबूरी.
मन चाहे मकरंद, मौज ले लेतीं पूरी..
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इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

 

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