नौ रूपों में है बँटा, माता का शुचि रूप.
सृष्टि स्वयं वंदन करे, शोभा दिव्य अनूप..
अश्ववाहिनी आगमन, अपराजिता स्वरूप.
राम शक्तिपूजा यथा, खुले शक्ति के कूप..
आये कन्याराशि में, सूर्य बृहस्पति चन्द्र.
योग बना गजकेसरी, तीव्र बुद्धि, मन मन्द्र..
प्रबल युद्ध का योग है, भीषण जनसंहार.
संधि, घात, विषयोग भी, सावधान हों यार..
नवदुर्गा माँ पार्वती, करिए जग का त्राण.
शारदीय नवरात्रि में, करें विश्व कल्याण..
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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