Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सुर कोमल सुन्दर प्यारी हो

 

सुर कोमल सुन्दर प्यारी हो
इन आँखों की फुलवारी हो

 

 

तुम त्याग समर्पण की प्रतिमा
अनुराग भरा प्रभु की महिमा
हैं साथ गुजारे पल जितने
उन लाख पलों पर भारी हो

 

 

इन आँखों की फुलवारी हो

 

 

मन की भटकन की 'सीमा' हो,
मेरी खुशियों का बीमा हो,
जो तनमन रखतीं स्वस्थ सदा
उन औषधियों की क्यारी हो

 

 

इन आँखों की फुलवारी हो

 

 

तुम कर्म समर्पित साधक हो
उस ईश्वर की आराधक हो
दायित्व निभाती सब हँसकर
सच्चे अर्थों में नारी हो.

 

 

इन आँखों की फुलवारी हो.....

 

 

रचनाकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

 

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ