सुर कोमल सुन्दर प्यारी हो
इन आँखों की फुलवारी हो
तुम त्याग समर्पण की प्रतिमा
अनुराग भरा प्रभु की महिमा
हैं साथ गुजारे पल जितने
उन लाख पलों पर भारी हो
इन आँखों की फुलवारी हो
मन की भटकन की 'सीमा' हो,
मेरी खुशियों का बीमा हो,
जो तनमन रखतीं स्वस्थ सदा
उन औषधियों की क्यारी हो
इन आँखों की फुलवारी हो
तुम कर्म समर्पित साधक हो
उस ईश्वर की आराधक हो
दायित्व निभाती सब हँसकर
सच्चे अर्थों में नारी हो.
इन आँखों की फुलवारी हो.....
रचनाकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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