बल से जीवन संचरण, दुर्बल मौत समान | निराशा अपनी शत्रु है , साहस से कल्याण || पूरे मन जी प्राण से, कुछ भी कर लो काम | मानव तन ही श्रेष्ठतम्, कर लो इसे प्रणाम || सेवा त्याग ह्रदय बसै, सीरदार सरदार | करने को अपनी मदद, सदा रहो तैयार || उन्नति हेतु उपाय ये , अपने पर विश्वास | रुचि अनुसार पाओगे , भगवन होंगे पास || निर्भय हों संदेह का, होगा सदा विनाश | अव्यक्त ब्रह्म आत्मा , शिक्षा सबसे खास || नास्तिक जग में है वही , खुद पर ना विश्वास | जैसी हो एकाग्रता , उतनी पूरी आस || इन वचनों को प्रेम से , सब जन यदि अपनाय | भारत तब संसार में, महाशक्ति हो जाय || --अम्बरीष श्रीवास्तव
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY