Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उन्हें बचा लें राम

 

अकड़े रहते जो सदा, अहंकार में चूर.
वही दया के पात्र हैं, रहें स्वयं से दूर.
रहें स्वयं से दूर, निरंतर होते आहत.
मधुर सौम्य व्यवहार, कहाँ दे उनको राहत.
अनायास हों कुपित, दम्भ पल-पल में जकड़े.
उन्हें बचा लें राम, रहें जो प्रतिक्षण अकड़े..

 


सादर,

 

 


इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर

 

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