Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

वह कौन है

 

कहीं भीतर कोई सोता फूट पड़ा हो जैसे
भाव ऐसे छलकाने लगता है मन
सब कुछ अच्छा, बेहद अच्छा लगने लगता है…
आँखें एक पल के लिये नम हो जातीं,
बिखर जाती होठों पर सतरंगी मुस्कान
वह कौन है अंदर जिसको छू जाता है प्यार
छू जाती है ओस की ठंडक
रातों की चाँदनी और सुबह की धूप
इतनी शिद्दत से कि पोर-पोर सिहर उठता है..
वह कौन है जो आँसू देखकर खुद आँसू बहाने लगता है
और बिखेर देता है हँसी दूसरों के सुख में
क्या वहीं कहीं ईश्वर का बसेरा है
जो निर्विकार रहता है, किन्तु कभी कहीं भीतर कोई ….

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ