जिस तरह स्टोर में पड़ा
वाल्व वाला भारी-भरकम रेडियो
श्वेत-श्याम पोर्टेबल टीवी
उसी तरह आज बुजु़र्ग
हमारे घरों से
हो गए ग़ायब
क्या हम भी नहीं
हो जाएंगे एक दिन
उपेक्षित, अनुपयोगी, बेकार
कैसा लगा मेरे यार!!
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जिस तरह स्टोर में पड़ा
वाल्व वाला भारी-भरकम रेडियो
श्वेत-श्याम पोर्टेबल टीवी
उसी तरह आज बुजु़र्ग
हमारे घरों से
हो गए ग़ायब
क्या हम भी नहीं
हो जाएंगे एक दिन
उपेक्षित, अनुपयोगी, बेकार
कैसा लगा मेरे यार!!
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