Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बाज़ार

 

बाज़ार अब वहां नहीं होता
जहां सजती हैं दुकानें
रहते हैं क्रेता-विक्रेता
आज घर-घर सजी दुकानें
फेरीवालों, अख़बारों के
टीवी, इंटरनेट के
मोबाईल फोन के ज़रिए
बाज़ार घुसा चला आया
सबके दिलो-दिमाग़ में भी!

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