हो किसी और जगह
कुछ भी गड़बड़
हमें तनाव नहीं होता
बल्कि हम ये तक कह देते हैं
कि सरकार और मीडिया
दोनों बोल रहे झूठ
मरने वालों के आंकड़े
क्या इतने कम होंगे?
यदि ऐसा ही कुछ घटे
अपने साथ
या अपनों के साथ
तब समझ आता
आटे-दाल का भाव!
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हो किसी और जगह
कुछ भी गड़बड़
हमें तनाव नहीं होता
बल्कि हम ये तक कह देते हैं
कि सरकार और मीडिया
दोनों बोल रहे झूठ
मरने वालों के आंकड़े
क्या इतने कम होंगे?
यदि ऐसा ही कुछ घटे
अपने साथ
या अपनों के साथ
तब समझ आता
आटे-दाल का भाव!
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