Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गिनती हो रही लाशों की

 

गिनती हो रही लाशों की
अलग-अलग
उनमे कितने बच्चे और कितनी स्त्रियाँ
फिर तुलना की जा रही
भून दिए गए या काट दिए गए या जला दिए गए
उन लोगों की संख्या से
जो इससे पहले खेत रहे
फिर चैन की सांस ली जा रही
अरे...ये तो उनसे कम हैं
और मारे गए बच्चों की संख्या भी
कितनी कम है
और इस तरह भुला दी जाती हैं हत्याएं
हमारे तथाकथित सभ्य समाज में....

 

 

 

अनवर सुहैल

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