Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या ऐसा कभी होगा

 

क्या ऐसा कभी होगा
कि कहीं चले गोली
और हत्यारा मुसलमान न हो
कि कहीं काटे जाएँ सिर
और कातिल मुसलमान न हो
आत्मघातक हमला हो
और फिदायीन मुस्लमान न हो
गौकशी हो
और कसाई मुसलमान न हो
लेकिन ऐसा होता नही
जैसे ही थोड़ा विवरण लेना चाहो
तो झट से मुसलमान का नाम आता है
और फिर हम जैसे सहजीवी
अमनपसंद लोगों की नींदें उड़ जाती हैं
समूचा वजूद शर्मसार होता रहता है
और उठा नही पाता सिर.....
जाने कब तक ऐसे झुके सिर लिए
हमें जीना पडेगा..
हम जो हर हाल में अमन-सुख-चैन चाहते हैं....
हम जो इतने घुले-मिले हैं इक-दूजे से
जैसे शरबत में पानी और शक्कर....

 

 

 

अनवर सुहैल

 

 

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