Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नर्क

 

हमने चुना
अपने लिए
एक नर्क
या धकेल दिया था तुमने
हमें नर्क में...
कोई फर्क नहीं पड़ता...

 

नर्क
भले ही जैसा था
हमने उसमें बसने का
बना लिया मन
और ठुकरा दिया
तुम्हारे स्वर्ग को
उन लुभावने सपनो को
जिसे दिखलाते रहे तुम
और तुम्हारे दलाल...
और जिस स्वर्ग के लालच में
फंसती रहीं
हमारी कई कई पीढियां...

 

धरे रहो तुम अपना स्वर्ग
अपनी तिजौरियों में
हमें छोड़ दो
हमारे हालात पे...
हम खोज लेंगे
अपने लिए खुशी के क्षण
गंधाते हुए
बजबजाते हुए
तड़पाते हुए माहौल में भी....

 

 

 

अनवर सुहैल

 

 

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