फिर कई सवाल
मचा रहे वबाल
ढूंढता जवाब
अपने आस-पास...
हंकाल देते वो
हज़ारों साल पीछे
झाँकने को कहते
जहां सवालों की जड़ें हैं
चीखता समाज
मारता ताने-उलाहने
दिग्भ्रमित वर्तमान
और इन सब के बीच
मौन संविधान....
ऐसे में बताओ
क्या करें श्रीमान....
'
अनवर सुहैल
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