क्या हरदम ऐसे ही चलेगा
हम ही देखें
हम ही करें जुगत
हम ही भोगें
हम ही दूर करें
दुनिया के दुःख-दर्द...
क्या हरदम ऐसे ही चलेगा
कब तक हमें ही
बने रहना होगा हमदर्द
जबकि इस चक्कर में
कर नही पाए
खुद अपने ज़ख्मों का इलाज
और हुए लाइलाज
क्या हरदम ऐसे ही चलेगा....
अनवर सुहैल
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