Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अंदाज तुमहारे जैसा था

 

 

बारिश की बरसती बुंदों ने जब
दस्तक दी दरवाजे पर
महसूस हुआ तुम आए
अंदाज तुमहारे जैसा था

 

 

हवा के झोंके की जब
आहाट पाई खिड़की से
महसूस हुआ तुम आए
अंदाज तुमहारे जैसा था

 

 

उन गिरती बुंदों को जब
कैद करना चाहा हाथो में
एक सरसराहट सी हुई बदन में
वो एहसास तुमहारे जैसा था

 

 

अचानक बारिश थम गयी
फिर सूरज ने अपने उजाले बरसाए
मैं फिर हो गयी तन्हा
वो सावन के आने जाने का
अंदाज़ तुमहारे जैसा था
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अंजु –

 

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