शबनम से धुली हुई
धूप सी खिली हुई
बहारों सी रवानी
खुद ज़िंदगी को
नाज है जिसपे
इसको कहते है जवानी
ख्यालो की रवानी
कभी न मिटे वो निशानी
शायरों की कलम से लिखी
नज़्म मस्तानी
इसको कहते है जवानी
आशाओ का फैला आकाश
जोश और आत्मविश्वास
का प्रकाश
कभी गिरे कभी संभले
अपने अनुभव से लिखना चाहे
अपनी कहानी
इसको कहते है जवानी
परिंदे की उड़ान
छूना चाहे आसमान
पर ढल के वापिस न आए
यही है परेशानी
इसको कहते है जवानी
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अंजु जायसवाल
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