Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

 

यह जो खूबसूरत
सी है माँ की मूरत
बिलकुल ईश्वर जैसी
है उसकी सूरत

 

त्याग और ममता
से खींची हुई है रेखाएँ
भीनी भीनी बस
प्यार की देती है सदाएं

 

कितना तेज है
कितना नूर है
चेहरे पे इसके
सूरज ने उधार मांगे है जैसे
उजाले इससे

 

दर्द या व्यथा भरे हो
चाहे इसके नयन
एक मदरीम सी मुस्कान
है इसका चलन

 

शिक्षित हो या अशिक्षित
धनवान हो या गरीब
पल्कों से अपनी चुनती है कांटे
माँ तो होती है सच्ची रकीब

 

कितने मधुर भावों से
यह खिली रहती कली गुलाब की
क्या है कोई मिसाल इस धरती पर
इसके जवाब की

 

 

............................................... अंजु

 

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