Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पल दो पल

 

 

पल दो पल
ऐ खूबसूरत से पल
बन्द कर लू तुझे मुठठी में
जी लू तुझे जी भर के
महसूस कर लू
ये प्यार का रेशमी अहसास
जगा लू कुछ देर और
जीने की आस

 

वो सपना जो बन्द था कभी पलको में
छू के महसूस कर लूं उसे
बुझा लू आज वोः
अनबूझी सी प्यास

 

भीग जाने दो मुझे
चाहतो की बारिशों में
आज पूरी कर लूं
वो अधूरी सी गज़ल

 

पल दो पल
ऐ खूबसूरत से पल
येः जो उगा है सूरज
खिले हुए अरमानो के उजालों वाला
औढ़ लेने दो
इसकी किरणों को मुझे
ढल जाने दो
अब अँधेरी रात
पल दो पल
ऐ खूबसूरत से पल

 


................................. अंजु

 

 

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