Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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टूटे हुए खवाब

 

 

हम यूंही खवाबों का आशियाना बनाते रहे
बेगानों को अपना समझ कर
यूंही दिल बहलाते रहें
काँच के रिश्ते थे और नाजुक मेरे अरमान थे
टूट कर बिखरे तो बस टूटे हुए दिल के निशान थे
मेरी रातो के काले साये थे शायद मेरी ज़िंदगी से लंबे
हम किसी और के घर के सूरज से
अपने अँधियारे मिटाते रहे
पर जब बेखुदी की नींद खुली तो
अपने को फिर उसी मक़ाम पे पाते रहे
जहाँ पर राह खत्म होती थी
हम फिर अपने दिल को दुनियादारी की रसमे समझते रहे
अपने अशकों को अपने ही हाथो से मिटाते रहे
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अंजु जायसवाल

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