Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ मैं भी.................................................

 

 


माँ मैं भी.................................................


माँ मैं भी अपने देश की खातिर सीमा पर लड़ने जाऊंगा
या तो खुद कट जाऊंगा या दुश्मन को मार गिराऊंगा
मत होना परेशान गर अं हो गया कुर्बान
जाते जाते मैं तुझे कुछ नाम देकर जाऊंगा
जाते-जाते मैं .............................

फक्र होगा तुझे की देश के खातिर तुने अपना बेटा कुर्बान किया है 
जायेगा नहीं जो कभी भी व्यर्थ, तुने ऐसा नालिदान दिया है
तेरे इन बुलंद इरादों को मैं शत-शत सर झुकाऊंगा
माँ मैं भी......................................
......
या तो खुद..........................................

यूं तो दुश्मन की कोई भी गोली तेरे बेटे को मार नहीं सकती,
भेद कर तेरे आशीर्वाद का कवच, मुझे मौत के घात उतार नहीं सकती
गर मिली मौत भी मुझे तो मैं हँसते-हँसते अपनाऊंगा
माँ मैं भी............................................
या तो खुद..........................................

मर गया गर मैं लड़ते-लड़ते, तू ज़रा भी गम ना करना
व्यर्थ में होकर दुखी तू अपनी आँखें नाम ना करना
बनकर आंसू मैं पलकों पे तेरी हर दिन हर पल आऊंगा
माँ मैं भी............................................
या तो खुद..........................................
 

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