शब्द निष्प्राय होने लगे,जुबा’ निढाल हॊ चुकी, स्व्प्न कतराने लगे, सुबह खो गयी, शाम काली हो गयी, क्या है ये? क्या इसी को तो नही’ कहते काला पानी..
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शब्द निष्प्राय होने लगे,जुबा’ निढाल हॊ चुकी, स्व्प्न कतराने लगे, सुबह खो गयी, शाम काली हो गयी, क्या है ये? क्या इसी को तो नही’ कहते काला पानी..
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