Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वास्तविकता

 
प्य़ार निष्काम और निस्वार्थ होना चाहिये

ऐसा किताबो’ मे’ लिखा है,

परन्तु क्या ऐसा नही’ है ,

कि आज ये शब्द ,

किसी अमीर के शयनकक्ष मे’ सजे,

गुलदान मे’ रखे, प्लास्टिक के गुलाब के मानिन्द,

जो सुवासित है’ कॄत्रिमता से,

जल्द ही अपना रुप खो बैठे’गे,

लेकिन पढे अवश्य जाये’गे, किताबो’ मे’.
 

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