नये साल में
लिखूंगा एक पूरी कविता.
गाऊँगा
पूरे स्वर में कोई मुक्तिगान.
ढ़ूढ़ूंगा
कुछ पूरे दोस्त.
भले नया न हो
पर देखूंगा एक पूरा स्वप्न.
जीना चाहूंगा एक पूरी ज़िदगी.
भटकूंगा
पूरेपन की तलाष में पूरे साल!
..................अशोक कुमार पाण्डेय
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