Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ वो पैसे कमाने, शहर को चला

 

बचपना भी न देखा, अभी ठीक से,
न तो देखा ही स्कूल, नजदीक से।
बाप की उसने, मजबूरियां देख लीं,
ढंग जीने की उसने, सभी सीख लीं।
पग जवानी में जैसे ही, उसके पड़े,
वो बालक अचानक, बड़ा हो गया।
बोझ घर के उठाने, को कच्ची उमर,
कुछ वो पैसे कमाने, शहर को चला।

(1)
बाप ने ले के कर्जा, महाजन से कुछ,
उसके हाथों में, कहते हुए ये दिया।
अब तो तू ही सहारा, है इस बाप का,
काट है इस गरीबी, के अभिशाप का।
दोनों बहनों की शादी का तू आसरा,
उनकी डोली तुझे ही है, करना विदा।
देख बैठी हैं कब से, वो इस आस में,
वक़्त उनके तो सर से, गुजरता चला।।
बोझ घर के …………!!

(2)
माँ ने रोते हुए, उससे बस यह कहा,
इस अँधेरे से घर का, है तू ही दिया।
बाप बूढा तेरा कुछ भी, कर ना सके,
खेती-बारी नहीं हैं जो, कुछ बो सके।
जाके परदेश कुछ जो, कमा लायेगा,
बोझ बापू का कुछ, हल्का हो जाएगा।
बाँध कर पोटली, गाँव से वो सपूत,
एक घर छोड़ के, एक घर को चला।
बोझ घर के …………!!

(3)
छोड़ के गाँव अपना, शहर आया था,
साथ में सबकी यादें, वो ले आया था।
लाखों अरमान उसके, थे दिल में भरे,
ख्वाब पलकों पे ढेरों, थे उसके सजे।
प्यारी बहनों के जीवन में, भरने को रंग,
लाया माता-पिता के थे, सपने भी संग।
फ़र्ज़ उसके थे जो, उन सभी के लिए,
पूरा करने उन्हें फिर, निकल वो पड़ा।।
बोझ घर के …………!!

(4)
पैसे कुछ मैं जमा करके, घर जाऊँगा,
उस महाजन का कर्जा, मैं लौटाऊँगा।
एक जोश-ए-जुनूँ और, आशा के दम,
राहे मंजिल पे रखा था, उसने कदम।
काट कर पेट अपना, वो करता बसर,
रूखी-सूखी से करता, रहा वो गुजर।
देखे कुछ ख्वाब उसने, हंसी जो उन्हें,
करने तामील उस, रहगुज़र को चला।।
बोझ घर के …………!!

(5)
वक़्त उड़ता रहा था, लगा करके पर,
वो भी करता रहा, काम जी तोड़ कर।
वक़्त भी आ गया, उसके परिणाम का,
उसके जी तोड़ मेहनत, के अंजाम का।
पाई-पाई जो जोड़ी, बना अब वो धन,
होगी घर वापसी, उसका हर्षित है मन।
था वो खुशियों के, हिंडोलों में झूलता,
ख्वाबों के तब हँसीं वो, सफ़र को चला।।
बोझ घर के …………!!

(6)
ढेरों चीज़ें लिया, माँ - बहन - बाप की,
थी कई सालों बाद, उसकी घर वापसी।
माँ की साडी औ बापू की दो धोतियाँ,
प्यारी बहनों की सोने की कुछ चूड़ियाँ।
चीज़ एक-एक सहेजे, गठरिया में सब,
जो भी उसने खरीदी, यहाँ अब तलक।
उसका दिल बस ख़ुशी से उछलता रहा,
ले वो खुशियों की सौगात घर को चला।।
बोझ घर के …………!!

 

 

 

*** © *** साहिल मिश्र ***

 

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