Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आया रे सावन

 

खिल उठा मन, चहका चित्तवन, झूमे आंगन आंगन ,
सखीयाँ नाचो-गाओं, धूम मचाओ,बड़ गई धड़कन
बहका-बहका मोसम, भीगी भीगी हवा,आयारे सावन
महका गुलशन, महकी फिजायें, रोम-रोम में सिहरन
नभ में चमकी बिजली, बढ़ी विरही मन की अगन
नयी रुत,मदहोश मौसम,,बरसेगा शीतल फुवार गगन
आज घटाओ में आया सन्देश,पुलकित है आतुर मन
हवा कर रही है इशारे, बादलों की अदा मन लुभावन
बदला सारा आलम , मन भँवरा, नाचे सारा अंतर्मन
चहक रहीं कलियाँ, बरसेगा सावन, होगा पिया मिलन
भीगेगा आज विरह का आँचल, खामोशी से तन-बदन
पागल सी निगाहें, दिल में हलचल, आश लगाये आतुर मन
सुर सजे, साजों के सरगम,हर लम्हा देखें पिया आगमन

 

 

सजन कुमार मुरारका

 


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