कदम- कदम पर तुम्हारा साथ
गिरने को था तुमने पकड़ा हाथ
अंधाधुंध दोड़ में थका बेहताश
तुमने दिलाई हरबार नई आश
थामे हुए हाथ में तुम्हारा हाथ
जैसे चिराग़ और रोशनी का साथ
कठिन दौर, जिन्दगी की कश्मकश
लम्बा सफ़र, निकला सरल,दिलकश
मरना देखोगी, छुटा जो तुम्हारा हाथ
तुमने मेरा जीना देखा, देकर मेरा साथ
बात थी,था कोई अहसास , या बिश्वास
सहज कट गई जिन्दगी, बिन कोई प्रयास
जानता नहीं,कियों दिया तुमने हाथ में हाथ
अब मेरा जीवन हो, मरते दम तक का साथ
:-सजन कुमार मुरारका
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