हिंदी साहित्य की अनेकानेक विधाओं में ‘हाइकु’ नव्यतम विधा है। यदि यह कहा जाए कि वर्तमान की सबसे चर्चित विधा के रूप में हाइकु स्थान लेता जा रहा है तो अत्युक्ति न होगी।
हाइकु सत्रह (१७) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ और तीसरी में ५ अक्षर रहते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात एक ही वाक्य को ५,७,५ के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।
(साभार:- डॉ. जगदीश व्योम के लेख हिन्दी साहित्य काव्य संकलन से लिया गया है ) उदहारण स्वरुप मैंने कुछ प्रयास किया है , इस विधा को को आइये सब मिलकर आगे और बढ़ायें |
हाइकु का प्रत्येक शब्द एक साक्षात अनुभव है। कविता के अंतिम शब्द तक पहुँचते ही एक पूर्ण बिंब सजीव हो उठता है।”(प्रो. सत्यभूषण वर्मा, जापानी कविताएँ, पृष्ठ-२७)हाइकु लिखते समय यह देखें कि उसे सुनकर ऐसा लगे कि दृश्य उपस्थित हो गया है, प्रतीक पूरी तरह से खुल रहे हैं, बिंब स्पष्ट है।
कुत्ता बेचारा गरीब बच्चे बेवफा प्यार मानो नेता ने काटा रोटी के लिये श्रम खुशबु नहीं होती कुत्ता पागल सिर्फ कानून कागजी-फुल
आया सन्देश यादों का सिला तितलीयों से मन मयूर नाचे बरफ में अगन अब शर्माये फुल पिया मिलन मुश्कील जीना पराग हीन
लोकतंत्र मे मुक्त संवाद देश के नेता लुट मची रे लुट त्रिवेदी जैसा हाल नित्य नये घोटाले सके तो लुट गणतंत्र है बहती गंगा
कुशल वक्ता महान देश दिल का जख्म भारत का संसद किचढ़ उछालते काँटों भरा दामन देश का नेता बुजुर्ग नेता स्तब्ध अल्फाज
सजन कुमार मुरारका
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