Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिन्दगी का फ़लसफ़ा

 

"प्यार" ही जिन्दगी का शायद सही फ़लसफ़ा है ;
जो हर एक " जिंदादिल" जिन्दगी में बसता है ;


वैसे चाहे, कोई अकेला भी जीने को, जी लेता है !
वीराने मे खिले- गुलबहार,वह कोई खिलना है ?


किसी के दिल में पनाह पाये,यह हमारी आरजू है ;
किसी के होंटों की मुस्कुराहट बने यह अरमान है ;


हम ना रहे, पर हमे याद मे रहने की चाहत है !
फरियाद करेंगे वह किस से, जब दिल टूटता है ,


कहते जो हमारे लिये उनके पास वक़्त नहीं है ;
खोजेंगे हमे,वक़त आने पर,यह हमारा वादा है !


मोजुदगी नहीं, होने का एहसास ही खास है ;
दिल की नजर से देखिये, हम आपके पास है |

 

 

सजन कुमार मुरारका

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